Commonwealth Games 2022: भारत की सबसे कम उम्र की एथलीट Anahat Singh ने वूमेंस सिंगल्स का पहला मुक़ाबला जीत कर रच दिया इतिहास

Commonwealth Games 2022: भारत की सबसे कम उम्र की एथलीट Anahat Singh ने वूमेंस सिंगल्स का पहला मुक़ाबला जीत कर रच दिया इतिहास

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Commonwealth Games 2022 के पहले दिन जहां सभी की निगांहे बड़े और नामी खिलाड़ियों पर टिकी थीं, तो वहीं दूसरी ओर भारत की सबसे कम उम्र की एथलीट ने सनसनी फैला दी. भारतीय दल में शामिल सिर्फ 14 साल की Anahat Singh ने वूमेंस सिंगल्स का पहला मुक़ाबला जीत कर इतिहास रच दिया. वो भारतीय दल की सबसे कम उम्र की एथलीट हैं. अनाहत ने शुक्रवार को स्क्वैश के वूमेंस सिंगल्स में सेंट विंसेंट और ग्रेनेडाइंस के जैडा रॉस को 11-5, 11-2, 11-0 से धूल चटाकर राउंड ऑफ 32 में प्रवेश कर लिया है.

Commonwealth Games 2022: भारत की सबसे कम उम्र की एथलीट Anahat Singh ने वूमेंस सिंगल्स का पहला मुक़ाबला जीत कर रच दिया इतिहास
भारतीय दल में शामिल सिर्फ 14 साल की Anahat Singh|Twitter|

दिल्ली की रहने वाली 9वीं कक्षा की छात्रा अनाहत ने बर्मिंघम का टिकट राष्ट्रीय चयन ट्रायल में अच्छा प्रदर्शन करने के बाद हासिल किया. पीवी सिंधु को देखकर खेल में अपना करियर बनाने वाली अनाहत ने एशियन जूनियर व्यक्तिगत स्क्वैश चैंपियनशिप में गर्ल्स अंडर-15 का खिताब जीता था. उन्होंने भारत के लिए कई पदक भी जीते हैं, जिसमें ब्रिटिश जूनियर स्क्वैश ओपन 2019 में स्वर्ण और साल 2020 में एक रजत पदक शामिल है.


भारत की नई सनसनी अनाहत सिंह का जन्म 13 मार्च 2008 को दिल्ली में हुआ था. उनके पिता गुरशरण सिंह वकील हैं और उनकी मां तानी वदेहरा सिंह इंटीरियर डिजाइनर हैं. अनाहत के परिवार का खेल के प्रति काफी गहरा लगाव है. गुरशरण और तानी भी अपनी युवावस्था में हॉकी खेल में हाथ आजमा चुके हैं. अनाहत की बड़ी बहन अमीरा भी एक बेहतरीन स्क्वैश खिलाड़ी हैं. वह अपनी स्नातक की डिग्री हासिल करने के लिए हार्वर्ड विश्वविद्यालय जाने से पहले देश की शीर्ष अंडर-19 खिलाड़ियों में से एक थीं.


पूर्व विश्व नंबर वन को चौंकाया

इन खेलों से पहले चेन्नई में कैंप लगा. इसमें नेशनल स्कवैश एसोसिएशन ने पूर्व नंबर वन ग्रेगरी गुलतेयर को बुलाया. ग्रेगरी के सामने 9वीं कक्षा की छात्रा अनाहत सिर्फ 15 मिनट खेलीं. ग्रेगरी को लगा कि कोई पेशेवर स्क्वैश खिलाड़ी उनके सामने हैं. वह हैरान थे कि इतनी छोटी उम्र में अनाहत ने इस जटिल खेल की बारिकियों को कैसे समझ लिया है!


बर्मिंघम खेलों में देश की सबसे कम उम्र की खिलाड़ी

सिंगल खेलने वाली अनाहत ने शुक्रवार के बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों में सेंट विसेंट एंड द ग्रेनाडियन की जाडा रोज के खिलाफ अपना पहला मैच 11-5,11-2 और 11-0 से जीत लिया. इस समय 14 साल की अनाहत इन खेलों में भारत की सबसे कम उम्र की खिलाड़ी हैं लेकिन उनकी बेहद ही छोटे समय में लंबी यात्रा युवा खिलाड़ियों ही नहीं बल्कि आम आदमी को सिखाने में मददगार हो सकती है कि कैसे उम्र की परवाह किए बिना किस तरह के बड़ी जिम्मेदारी और चुनौती को स्वीकार किया जाता है.

भारत और एशिया में अंडर-15 वर्ग में शीर्ष अनाहत की कामयाबी के चार्ट पर नजर डालने से दिखता है कि वह एक असाधारण प्रतिभा है. शुरुआती दौर में उनका कोई कोच नहीं था. वह अपनी बड़ी बहन से साथ सिरी फोर्ट स्पोर्टस कॉप्लेक्स में जाती थीं. वहीं 10-15 मिनट खेलती और घर लौट आती. फिर बहन के उत्साह बढ़ाने का बाद अनाहत ने रैकेट को और गंभीरता से पकड़ना शुरु किया.अभी पिछले साल तक वह जूनियर सर्किट में तहलका मचाए हुए थी. उसके खेल ने सिलेक्टरों का ध्यान खींचा. उम्र को लेकर सीनियर खिलाड़ियों ने भी सवाल उठाए लेकिन अनाहत का खेल देखने के बाद सभी का भरोसा मजबूत हो गया. हालांकि राष्ट्रमंडल खेलों के लिए टीम में चयन की खबर खुद अनाहत के लिए हैरानी भरी थी.


मैच में गलती नहीं करती अनाहत

इसमें कोई दोराय नहीं है कि वह एक नायाब खिलाड़ी है. लेकिन इस उम्र में सीनियर लेबल की मेंटेलेटी के साथ अपने खेल को बरकरार रखना किसी के लिए भी आसान नहीं होता. उनके खेल का सकारात्मक पहलू यह है कि वह हर अभ्यास सत्र और मैच में ज्यादा से ज्यादा सीखना चाहती हैं. अनाहत के कोच रितविक भट्टाचार्य का कहना है कि वह मैच के दौरान कोई गलती नहीं करती. यह उनके खेल का सबसे मजबूत पहलू है. जाहिर है कि इसलिए इस नन्हीं अनाहत के बारे में बात हो रही है.

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