Rajeev Gandhi Birth Anniversary: दूरदर्शी सोच वाले एवं सबको साथ लेकर चलने वाले एक असाधारण नेता

Rajeev Gandhi Birth Anniversary: दूरदर्शी सोच वाले एवं सबको साथ लेकर चलने वाले एक असाधारण नेता

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Rajeev Gandhi death Anniversary: दूरदर्शी सोच वाले एवं सबको साथ लेकर चलने वाले एक असाधारण नेता
पूर्व प्रधान मंत्री और "भारत रत्न" राजीव गांधी जी।  फोटो-ट्विटर 

यदि राजीव गांधी (Rajiv Gandhi) जीवित होते तो आज 78 वर्ष के होते। वह कोई साधारण नेता नहीं थे। उन्हें एक राष्ट्र के रूप में हमारी चुनौतियों और अवसरों को पहचानने की क्षमता का आशीर्वाद प्राप्त था। बीते दिनों देश ने पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति के रूप में द्रौपदी मुर्मु के चुने जाने का जश्न मनाया। इसका श्रेय राजीव गांधी की दूरदर्शिता को जाता है। उन्होंने ही पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा देकर सत्ता के विकेंद्रीकरण का सपना देखा था। द्रौपदी मुर्मु ने रायरंगपुर (ओडिशा) से पार्षद के रूप में ही अपनी राजनीतिक यात्रा आरंभ की थी। यह सीट आदिवासी महिलाओं के लिए आरक्षित थी। उस शुरुआत से ही आज वह देश के सर्वोच्च पद पर पहुंची हैं। राजीव जी यह मानते थे कि सरकार में सहभागिता से अथाह ऊर्जा उत्पन्न होगी और यह समाज के वंचित एवं कमजोर वर्गों की स्थिति में क्रांतिकारी बदलाव करेगी।


राजीव गांधी पंचायती राज और नगर पालिका विधेयक के सूत्रधार थे। उन्होंने लोक अदालतों के माध्यम से त्वरित न्याय दिलाने के प्रयासों को भी प्रमुखता से बढ़ावा दिया। पंचायती राज संस्थाओं के जरिये लोगों को सशक्त बनाने का काम आसान नहीं था, फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी। वह भ्रष्टाचार के दीमक को भली-भांति पहचानते थे। इसी कारण उन्होंने नि:संकोच कहा था कि सरकार द्वारा खर्च प्रत्येक रुपये में से केवल 15 पैसा ही लाभार्थी तक पहुंचता है। उन्होंने स्थानीय स्वशासन के लिए 1989 में लोकसभा में 64वां संविधान संशोधन विधेयक पेश किया।


जमीनी स्तर पर लोगों को सशक्त बनाने का दृढ़ संकल्प लेकर राजीव गांधी ने 1991 के लोकसभा चुनाव के घोषणापत्र में पंचायती राज संस्थाओं को सशक्त बनाने का वादा किया। बतौर लोकसभा सदस्य मैं उस पल का साक्षी हूं, जब 73वें और 74वें संविधान संशोधन अधिनियम के लागू होने पर राजीव जी का सपना पूरा हुआ, जिससे ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में पंचायतों, त्रि-स्तरीय पंचायतों और नगर पालिकाओं को पर्याप्त शक्तियां, वित्तीय संसाधन और महिलाओं के लिए सीटें आरक्षित करने का फैसला लिया गया।


राजीव जी के राजनीतिक विरोधी भी उनके आधुनिक एवं नए सोच के कायल थे। बतौर प्रधानमंत्री उन्होंने लगभग 38 साल पहले हमारे जीवन में प्रौद्योगिकी की बड़ी भूमिका की परिकल्पना कर ली थी। वह उच्च उत्पादकता, पारदर्शिता और सामाजिक न्याय की दिशा में तेजी से प्रगति के लिए तकनीक के उन्नयन की जरूरत को पहले ही समझ गए थे।


'विज्ञान गांव की ओर' के जरिये उन्होंने न केवल कृषि, बल्कि जीवन के हर क्षेत्र में प्रौद्योगिकी अपनाने की पहल की। एक प्रभावी और उत्तरदायी प्रशासनिक तंत्र स्थापित करने का दृढ़ संकल्प लिए राजीव जी कार्मिक और प्रशासनिक सुधार विभाग को प्रधानमंत्री कार्यालय के अधीन लेकर आए, जो प्रशासनिक दक्षता की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण कदम था। राजनीतिक पतन पर प्रभावी रोक के लिए राजीव जी 1985 में 52वां संविधान संशोधन अधिनियम लेकर आए, जिसे दलबदल विरोधी कानून के रूप में जाना जाता है।


युवा शक्ति में भरोसा करने वाले राजीव जी ने मतदान की उम्र 21 से घटाकर 18 वर्ष कर लोकतंत्र सशक्त बनाने का काम किया। उन्होंने इस सच्चाई को हमेशा दोहराया कि युवाओं को समानता, न्याय, बंधुत्व और स्वतंत्रता के सिद्धांत पर एक सामाजिक व्यवस्था बनाने के लिए सशक्त, शिक्षित और कौशल से युक्त होना चाहिए। वह भाईचारे, सहिष्णुता और सह-अस्तित्व की भावना को बढ़ावा देने के लिए सांस्कृतिक तालमेल की जरूरत को लेकर भी गंभीर थे। यह गंभीरता उनकी सरकार की शिक्षा नीति में दिखाई देती थी।


इसी प्रकार, उन्होंने सांस्कृतिक विविधता की रक्षा करने और उसे बढ़ावा देने के लिए सात क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्र स्थापित किए। उन्होंने उच्च शिक्षा कार्यक्रमों के आधुनिकीकरण और विस्तार के लिए 1985 में मानव संसाधन विकास मंत्रालय की स्थापना की। जवाहर नवोदय विद्यालयों के माध्यम से सामाजिक न्याय और संस्कृति के साथ-साथ उत्कृष्ट और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए मुफ्त आवासीय विद्यालय के जरिये बच्चों की शिक्षा में उनके महत्वपूर्ण योगदान को कोई कैसे भूल सकता है? मैं गर्व से यह कहना चाहता हूं कि देश का पहला जवाहर नवोदय विद्यालय मेरे संसदीय क्षेत्र में झज्जर जिले के एक गांव में खोला गया।


यह बड़े सौभाग्य की बात है कि मैंने राजीव जी के बेहद करीब रहकर काम किया। किसी को भी मंत्रमुग्ध कर देने वाले व्यक्तित्व, आकर्षण, साहस, आत्मविश्वास, अंदाज, बुद्धि, धैर्य, गरिमा, शालीनता से संपन्न और सबको साथ लेकर चलने वाले राजीव जी सहमति और समाधान, भागीदारी और सूझबूझ के जरिये सार्वजनिक जीवन में राजनीति, अर्थव्यवस्था और नैतिकता के क्षेत्र में बदलाव के प्रतीक बने। शांति में उनका अटूट विश्वास था और उन्होंने पंजाब, असम, मिजोरम, नगालैंड और कश्मीर में शांति एवं लोकतंत्र बहाली के लिए आंदोलन और विद्रोह खत्म कराने के लिए कड़ी मेहनत की। एक भारत-श्रेष्ठ भारत उनकी ही परिकल्पना थी।



आजादी के अमृत काल में देश राजीव जी की दूरदर्शिता और नेतृत्व के अतुलनीय योगदान को कभी नहीं भुला सकता। उन्होंने सुशासित, शक्तिशाली और जीवंत राष्ट्र की बुनियाद रखी। राजीव जी दूरगामी सोच रखने वाले ऐसे राजनेता थे, जिनके विचार और अवधारणाएं आज भी वैश्विक महत्व रखती हैं। उनके आदर्शों पर चलकर हम अपने सपनों के भारत का निर्माण कर सकते हैं। एक खुशहाल, स्वस्थ और समावेशी समृद्ध भारत की दिशा में बढ़ा हमारा हर कदम राजीव गांधी को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

(लेखक हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री हैं)


Edited by - Rajkumar 


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